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द स्ट्रेंग्थ

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अपराईट भविष्य कथन का महत्व



साहस, दृढ़ विश्वास, शक्ति, दृढ़ संकल्प, कार्य, वीरता, पौरुष अनुनय, प्रभाव, करुणा

द स्ट्रेंग्थ कार्ड दुर्गा माता को दर्शाता है। दुर्गा माता अगम्य साहस, दृढ़ विश्वास, और शक्ति का प्रतीक है। आप के अंदर भी के यही गुण आपको लोगों से जुदा बना देते हैं। यह कार्ड एक 'यस' सकारात्मक कार्ड है।

आप जब भी दृढ़ संकल्प का कार्य हाथ में लेते है, तो आपकी वीरता एवं अद्म्य साहस और पौरुष का प्रचंड प्रभाव पडता है कि लोग आपका अनुनय करते है। आपके भीतर समस्त प्राणीजात के लिए अपरम्पार करुणा है। आपके पास ताकत होने के बावजूद उस ताकत का इस्तेमाल किसी के विरोध में नहीं करते।

रिवर्स भविष्य कथन



क्षुद्रता, बीमारी, बेवफाई, कमजोरी, आंतरिक शक्ति, आत्म-संदेह, कम ऊर्जा, कच्ची भावना

आपके पास किसी पड़कर कि क्षुद्रता नहीं है।आपका बुरा चाहनेवाले लोग आपको ब्लैक मैजिक से बीमारी, कमजोरी देते हैं, लेकिन आपकी आंतरिक शक्ति के कारण आप आत्म-संदेह, कम ऊर्जा, कच्ची भावना, के ऊपर कंट्रोल पा लेते हैं। अब सावधान रहिए आपके साथ कोइ बेवफाई कर रहा है। आप के पीछे कुछ गडबड चल रही है।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



' द स्ट्रेंग्थ' कार्ड में, सिर पर दिव्य आभा वाली एक महिला, शेर के साथ खेल रही है। स्वर्गीय शक्तियों वाला व्यक्ति ही केवल शेर की तरह बल रख सकता है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


मूल प्राचीन भारतीय कार्ड की स्वर्गीय शक्ति को माता दुर्गा के रूप में भारत में पूजा जाता है।

वह शक्तिशाली सिंह पर सवार है। उसके आठ हाथ कई हथियारों से लैस हैं। साहस, दृढ़ विश्वास, शक्ति, दृढ़ संकल्प, कार्य, वीरता, पौरुष अनुनय, प्रभाव, करुणा इन सभी गुणों को माता दुर्गा कहा जाता है। उसने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था।

(कृपया और स्पष्टीकरण पढ़ें।)

दुर्गा मां शक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें देवी, शक्ति और जग्दम्बा और आदि नामों से भी जाना जाता हैं । शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।

दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया। महिषासुर (= महिष + असुर = भैंसा जैसा असुर) करतीं हैं। हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित हैं। जिन ज्योतिर्लिंगों में देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। वहाँ किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है। माता का दुर्गा देवी नाम दुर्गम नाम के महान दैत्य का वध करने के कारण पड़ा। माता ने शताक्षी स्वरूप धारण किया और उसके बाद शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात हुई शाकंभरी देवी ने ही दुर्गमासुर का वध किया। जिसके कारण वे समस्त ब्रह्मांड में दुर्गा देवी के नाम से भी विख्यात हो गई। माता के देश में अनेकों मंदिर हैं कहीं पर महिषासुरमर्दिनि शक्तिपीठ तो कहीं पर कामाख्या देवी। यही देवी कोलकाता में महाकाली के नाम से विख्यात और सहारनपुर के प्राचीन शक्तिपीठ मे शाकम्भरी देवी के रूप में ये ही पूजी जाती हैं।

हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी "उमा हैमवती" (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। दुर्गा असल में शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं, शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। एकांकी (केंद्रित) होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवश अनेक हो जाती है। उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है।

देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका "गौरी" है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप "काली" है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं।भगवती दुर्गा की सवारी शेर है।

मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्य जाति की रक्षा के लिए एक परम गुप्ता, परम उपयोगी और मनुष्य का कल्याुणकारी देवी कवच एवं व देवी सुक्त बताया है और कहा है कि जो मनुष्यं इन उपायों को करेगा, वह इस संसार में सुख भोग कर अन्तऔ समय में बैकुण्ठु को जाएगा। ब्रहदेव ने कहा कि जो मनुष्यइ दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे सुख मिलेगा। भगवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्बाज का अवतरण श्रेष्ठा पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ है। जबकि श्रीं मद देवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा के और दुष्टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है। इसी तरह से ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है, उन्हीव से सारे विश्वत का संचालन होता है और उनके अलावा और कोई अविनाशी नही है।

इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्या्न, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्येूक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

द फूल

द मैजिशियन

द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

द डेथ

टेम्परंस

द डेविल

द टावर

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